
एसडीओ के आश्वासन के बाद खत्म हुआ पार्षदों का धरना।
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कार्यपालक पदाधिकारी अनीशा कुमारी मनमानी के खिलाफ एवं बहुमत से पारित प्रस्तावों के समर्थन में शुक्रवार की दोपहर से प्रारंभ हुआ धरना शनिवार शाम तक जारी रहा. पार्षदों का आरोप है कि इस दौरान एक बार भी कार्यपालक पदाधिकारी ने धरना पर बैठे पार्षदों से बात करने की जरूरत नहीं समझी. इस दौरान धरना पर बैठे पार्षद भीषण ठंड के बावजूद धरना पर डटे रहे. शनिवार की शाम करीब 4:00 बजे अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी के निर्देश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार धरना पर बैठे पार्षदों से बात चीत करने पहुंचे.
इस दौरान एसडीओ अभय कुमार तिवारी ने पार्षदों से फोन पर बात कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. जिसके बाद पार्षदों के द्वारा धरना को खत्म किया गया. क्या था पूरा मामला तो बता दे बोर्ड की बैठक में उपस्थित 11 में से 8 पार्षदों के समर्थन से पारित प्रस्ताव को पंजी में दर्ज करने की मांग को लेकर शुक्रवार की दोपहर प्रारंभ हुआ धरना शनिवार की शाम में अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी के आश्वासन के बाद खत्म हो पाया.
इस दौरान वार्ड संख्या 1 की पार्षद अनीता देवी, वार्ड संख्या 3 के पार्षद राजेश मिश्रा, वार्ड संख्या 7 की पार्षद अनिता देवी, वार्ड 8 की पार्षद सीता देवी, वार्ड 9 की पार्षद तारा देवी, वार्ड 10 की पार्षद निशा देवी, वार्ड 11 के पार्षद विजय कुमार पांडेय एवं वार्ड 12 के पार्षद विशुनदेव रविदास समेत 5 महिला व 3 पुरुष पार्षद दो दिनों तक अनवरत धरना पर डटे रहे. इस दौरान धरना पर बैठे पार्षदों ने बताया कि 8 उपस्थित वार्ड पार्षदों के अलावा अस्वस्थ रहने के कारण बैठक में नहीं पहुंचने वाली वार्ड संख्या 6 की पार्षद रेखा देवी ने भी पत्र भेज कर उक्त प्रस्तावों पर अपनी सहमति व्यक्त की थी.
उसके बावजूद उक्त प्रस्तावों को कार्यपालक पदाधिकारी अनीशा कुमारी द्वारा बोर्ड के अस्तित्व को नकारते हुए दरकिनार करना यह साबित करता है की नगर निकाय की लोकतांत्रिक प्रणाली में उनकी कोई आस्था नहीं है. पार्षदों ने बताया कि अनीशा कुमारी के 6 माह के कार्यकाल में एक भी नया कार्य प्रारंभ करने की स्वीकृति नहीं दी गयी है और न ही पूर्ण हो चुके कार्यों का भुगतान ही किया गया है. पार्षदों में इस बात को लेकर भी बेहद गुस्सा था कि शहर के तीन वार्डों में लगभग डेढ़ करोड़ की राशि का प्राक्कलन तैयार कर गुपचुप तरीके से निविदा निकालने की तैयारी कार्यपालक पदाधिकारी एवं मुख्य पार्षद के द्वारा की जा रही है. पार्षदों ने बताया कि नवगठित नगर पंचायत होने के कारण एक तो पहले ही सिकंदरा नगर पंचायत को कम आवंटन सरकार से प्राप्त हो रहा है. उसके बाद इतनी बड़ी राशि अगर सिर्फ तीन वार्डों में खर्च कर दी गयी तो अगले दो साल तक किसी भी वार्ड में एक भी कार्य नहीं हो पाएगा.
गुपचुप तरीके से सफाई कार्य का निकाला गया था टेंडर, स्वच्छता पदाधिकारी को भी नहीं थी जानकारी धरना पर बैठे वार्ड पार्षदों ने बताया कि 22 अगस्त की बैठक में साफ-सफाई कार्य एवं कर्मियों के नियुक्ति की निविदा निकालने को लेकर कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था. उसके बावजूद बैठक के कई दिनों बाद उक्त निविदा निकालने को लेकर प्रस्ताव पंजी में दर्ज कर लिया गया. गुपचुप तरीके से टेंडर निकालने को लेकर बार बार मांगे जाने के बावजूद भी हमलोगों को प्रस्ताव की कॉपी नहीं दी गयी थी. आखिरकार बैठक के चार माह उपरांत 16 दिसंबर को हमलोगों को प्रस्ताव की प्रति दी गयी. पार्षदों ने बताया कि निविदा का कार्य आवंटित करने को लेकर एक एनजीओ से रुपये के लेन देन की एक बड़ी डील हुई है. वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर लोक स्वच्छता पदाधिकारी रौशनी कुमारी ने बताया कि हमें भी साफ-सफाई की निविदा निकाले जाने को लेकर कोई जानकारी नहीं थी. बोर्ड की बैठक के एक दिन पूर्व गुरुवार को हमें जेम पोर्टल पर साफ-सफाई कार्य को लेकर निविदा निकाले जाने की जानकारी मिली.
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