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नदी को बचाने के लिए 31 गांव के लोगों के साथ किया गया चौपाल का आयोजन

नदी को बचाने के लिए 31 गांव के लोगों के साथ किया गया चौपाल का आयोजन



जमुई के पर्यावरण प्रेमियो, समाजसेवियों, युवाओं,  संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से "पर्यावरण चौपाल" कार्यक्रम का आयोजन शगुन वाटिका में किया गया, कार्यक्रम की शुरूवात डॉ अम्बेदकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। उक्त कार्यक्रम में भारत सरकार से सम्मानित जल प्रहरी मनोहर मानव, आरा जिला से चलकर आए विश्व पर्यावरण संस्थान के राजेंद्र पर्यावरण, नीम पीपल अभियान के डॉ धर्मेंद्र एवं विश्व पर्यावरण परिषद नंद लाल सिंह उपस्तिथ हो कर जमुई में लगातार पर्यावरण की क्षति पर चिंता व्यक्त की गई,इस अवसर पर जल प्रहरी मनोहर मानव ने कहा कि जल हमारा हवा के बाद सबसे ज्यादा प्रयोग करने वाला पदार्थ है यदि जल नही रहे तो हम इस सृष्टि की कामना ही नही कर सकते हैं मजबूर होकर हमे या तो पलायन करना होगा या पानी के लिए आपस मे लड़ाई लड़ना होगा, सरकार द्वारा नदियों का दोहन के लिए जिस तरह नियम कानून बनाया गया है उससे केवल जन जीवन को बर्बादी ही दिखती है। इसके लिए हर जन को जागरूक होना ही एक आवश्यक कदम हैं और नदियों को बचाना होगा। पर्यावरणविद्व राजेंद्र पर्यावरण ने कहा कि हम पानी को स्रोत को समाप्त करने वाले पीढ़ी कहलायेंगे यदि भविष्य में हम अपने आने वालों पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना चाहते है तो सबसे पहले आज से ही जल को बचाना आवश्यक है। क्योकि जल से हम अपने जीवन का कामना कर सकते है डॉ धर्मेद्र ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु किया जा प्रयास सरकार द्वारा ही चलाया जाता है तो दूसरी ओर एक कानून बना के नदियों का दोहन किया जा रहा है यदि हम जल को सुरक्षित रहेंगे तभी तो हरियाली लाने का प्रयास करेंगे।

पर्यावरण चौपाल को संबोधित करते हुए धीरज कुमार सिंह ने बताया कि जमुई के 22 बड़ी छोटी नदी है यह वर्तमान समय मे सभी सूखी है, जबकि पिछले साल तक लबालब पानी रहती थीं यह मात्र नदियों का दोहन के कारण हुआ है इसका प्रभाव सैकड़ो गॉव में गिरते जल स्तर से पानी के लिए त्राहि त्राहि देखने को मिल रहा है।कार्यक़म का मंच संचालन करते हुए शैलेश कुमार ने बताया कि पर्यावरण चौपाल द्वारा आहूत बैठक में सर्वसहमति से ग्रामीणों द्वारा निर्णय लिया गया कि पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, भूमि संरक्षण हेतु नदियों को बचाने हेतु चरणबद्व तरीके से जनप्रतिनिधयों को पोस्टकार्ड अभियान, हस्ताक्षर अभियान, 20 अप्रैल को एक दिवसीय भुख हड़ताल, 14 मई को गरही से पतनेश्वर धाम तक पद यात्रा किया जाएगा, अगर फिर भी जल संरक्षण के लिए जन प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन द्वारा नदियों को बचाने के लिए पहल नही की गई तो एक बड़े आंदोलन चलाया जाएगा। इस अवसर पर नदियों को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे धीरज सिंह, जमादार सिंह, कुणाल सिंह, स्नेहलता, राजीव पाण्डेय, वीरेंद्र जी ने अपने अनुभव का चर्चा की गई। इस अवसर पर नदी बचाओ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे शैलेश कुमार, सचिराज पद्माकर,शैलेश भारद्वाज, डुगडुग सिंह, कुंदन यादव, राहुल सिंह, धीरज कुमार सिंह, विवेक कुमार, गोलू कुमार, राकेश कुमार, लड्डू मिश्रा, अंकित सिन्हा, गोलू सिंह,  सहित 31 ग्राम के ग्रामीण, साईकिल यात्रा एक विचार के सदस्य, एबीवीपी के सदस्य, कई सामाजिक संगठन के सदस्य सहित सैकड़ों लोग उपस्तिथ थे।

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