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9786 एमटी का  लक्ष्य नहीं हो पाएगा पूरा।अधिकारी  का पैक्स अध्यक्ष के प्रति नहीं था रवैया सही

9786 एमटी का लक्ष्य नहीं हो पाएगा पूरा।अधिकारी का पैक्स अध्यक्ष के प्रति नहीं था रवैया सही



जमुई जिले को 9786 एमटी धान खरीदने का लक्ष्य मिला था। वह भी इस साल पूरा होने की उम्मीद नहीं है। मात्र अब 13 दिन धान अधिप्राप्ति को बचा है। जिले के 949 किसानों से  5906. 75 एमटी अभी तक धान की खरीद हुआ है। चावल अभी तक 820.12  एफसीआई गोदाम में गया है वही 641 किसानों का पेमेंट 8 4 97062 0 हो चुका है बाकी बचा हुआ है । सहकारिता विभाग से लेकर एस एफसी तक पैक्स अध्यक्षों को शोषण व दोहन किया जा रहा है। पैक्स अध्यक्ष नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दोनों विभाग मानसिक प्रताड़ित कर रहे हैं। पैक्स अध्यक्ष धान खरीद कर गोदाम में शोभा की वस्तु बनाए हुए हैं।  जिले में भले ही सुखार हुआ है लेकिन जमुई प्रखंड, खैरा प्रखंड सहित कई प्रखंडों और पंचायतों में धान अच्छी खासी हुई है। कृषि विभाग की गलत रिपोर्ट के कारण जमुई जिले के किसान इस बार धान की उपज तो हुई लेकिन कम दामों में साहूकारों से धान बेचना पड़ा और सहकारिता विभाग को धान नहीं दे सका। जितनी जिले को लक्ष्य मिली थी वह जमुई प्रखंड के दो पंचायत आराम से यह लक्ष्य पूरा कर देता लेकिन शुरू में पैक्स अध्यक्षों के बीच में लक्ष्य की वितरण में काफी घालमेल हुई। जिसका खामियाजा किसानों को झेलना पड़ा।

सहकारिता विभाग के सभी अधिकारी नए थे जिसका परेशानी पैक्स अध्यक्ष किसान को झेलना पड़ा। धान बेचने के लिए किसान सहकारिता कार्यालय पर धरना दिए। जिलाधिकारी के पास कई दिन मिलने पहुंचे लेकिन किसानों को सुनने वाला कोई नहीं रहा। थक हार के जिले के किसान पैक्स को देने के बजाय सब ये भाव में व्यापारी को दिया। किसानों का धान पूरा बिक जाने के गया तब बाजार में भी रेट काफी बढा। आज सहकारिता विभाग के अधिकारी पैक्स अध्यक्ष को धान खरीदने के दबाव बनाते हैं लेकिन  अधिक दाम होने के कारण अब पैक्स अध्यक्ष धान खरीदने से परहेज कर रहे हैं।  इस साल धान की खरीद मैं ग्रहण लग चुका है। जमुई जिला का लक्ष्य 9786 एमटी होने के बाद भी लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद नहीं है। शुरू में 125 पैक्स का चयन हुआ था और तीन व्यापार मंडल जिसमें 33 पैक्स और 3 व्यापार मंडल को एक लॉट धान खरीदने की अनुमति दिया गया । 
क्या कहते हैं अधिकारी अभी 13 दिन समय बचा हुआ है। लक्ष्य पूरा हो जाएगा। बाजार में सरकारी मूल्य के बराबर में धान का मूल्य हो चुका है जिसके कारण धान खरीद में परेशानी हो रही है।  हर हाल में लक्ष्य पूरा होगी।

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