
सदर अस्पताल के ओपीडी में सोमवार को 10:56 तक नहीं थे कोई डाक्टर
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लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी नहीं हो पा रहा है जमुई सदर अस्पताल में लोगों का सही इलाज। मरीज इलाज कराने के लिए काफी दूर-दूर से आते हैं लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण उन्हें प्राइवेट क्लीनिक का सहारा लेना पड़ता है। जमुई सदर अस्पताल आए दिन चर्चा में रह रहा है। डॉक्टर अपने कर्तव्य से बराबर बेमुख रहते हैं। समय पर डॉक्टर अपने ड्यूटी पर नहीं आते हैं। समय का कोई ध्यान डॉक्टरों को नहीं रहता है। जब मन हुआ आए और जब मन हुआ ड्यूटी छोड़कर चले जाते हैं। जिले में डॉक्टरों को कोई देखरेख करने वाले नहीं हैं। सीएस को जब मरीज के परिजनों द्वारा फोन किया जाता है तो सीएस फोन नहीं उठते है या स्विच ऑफ मिलता है। जमुई सदर अस्पताल फिर से भगवान भरोसे चल रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी जमुई सदर अस्पताल की व्यवस्था में रोज गिरावट आ रही है।
जमुई सदर अस्पताल में मरीज के इलाज के नाम पर सरकार की तरफ से लाखों रुपया हर महीने खर्च किया जा रहा है। वहीं सोमवार को 10:56 तक सदर अस्पताल में कोई भी डाक्टर नजर नहीं आए । डॉक्टर के इंतजार में मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई थी लेकिन समय पर डॉक्टर नहीं पहुंचे । डॉक्टर तो सरकार का पैसा उठाते हैं लेकिन वह अपना समय ज्यादातर अपने निजी क्लीनिक पर बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। बरहट प्रखंड के खादी ग्राम से संजीव कुमार अपने सहयोगी को इलाज कराने सदर अस्पताल आए थे डॉक्टर नहीं रहने की शिकायत सीएस को देने का प्रयास किया। सीएस का मोबाइल ऑफ मिला। इस बात की जानकारी बड़े पदाधिकारी को देने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने कहा की सीएस को फोन करो ना भाई फोन कट कर दिया। यह हालत है जमुई सदर अस्पताल की। सरकारी व्यवस्था में लाखों रुपए खर्च हर महीने किया जाता है लेकिन नतीजा जीरो बटा सन्नाटा है।
जमुई सदर अस्पताल में मरीज के इलाज के नाम पर सरकार की तरफ से लाखों रुपया हर महीने खर्च किया जा रहा है। वहीं सोमवार को 10:56 तक सदर अस्पताल में कोई भी डाक्टर नजर नहीं आए । डॉक्टर के इंतजार में मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई थी लेकिन समय पर डॉक्टर नहीं पहुंचे । डॉक्टर तो सरकार का पैसा उठाते हैं लेकिन वह अपना समय ज्यादातर अपने निजी क्लीनिक पर बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। बरहट प्रखंड के खादी ग्राम से संजीव कुमार अपने सहयोगी को इलाज कराने सदर अस्पताल आए थे डॉक्टर नहीं रहने की शिकायत सीएस को देने का प्रयास किया। सीएस का मोबाइल ऑफ मिला। इस बात की जानकारी बड़े पदाधिकारी को देने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने कहा की सीएस को फोन करो ना भाई फोन कट कर दिया। यह हालत है जमुई सदर अस्पताल की। सरकारी व्यवस्था में लाखों रुपए खर्च हर महीने किया जाता है लेकिन नतीजा जीरो बटा सन्नाटा है।
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