
हम राम को नहीं मानते, मांस मदिरा खाने वाले पंडित से पूजा करना पाप : मांझी
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देश में दो जात है अमीरी और गरीबी
जमुई। आकाश राज
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। कुछ महीने पहले भी उन्होंने भगवान राम और ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे उनकी काफी किरकरी हुई थी। पूर्व सीएम ने सुर्खियां बटोरने के लिए एक बार फिर से ब्राह्मण और भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं ऐसे ब्राह्मणों से पूजा-पाठ कराना पाप है। वहीं भगवान राम को नकारते हुए कहा कि राम केवल गोस्वामी तुलसीदास और बाल्मीकि के एक काव्य पात्र थे। मांझी ने देवी-देवताओं को भी नहीं बख्शा। जीतनराम मांझी गुरुवार को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती और माता सवरी महोत्सव समारोह में शामिल होने जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड आए थे। जहां उन्होंने कहा कि वे गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानते हैं, लेकिन राम को नहीं मानते, राम कोई भगवान नहीं थे।
उन्होंने कहा कि पूजा पाठ कराने से लोग बड़े नहीं बनते। उन्होंने कहा कि जो ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं, ऐसे ब्राह्मणों से पूजा पाठ कराना पाप है। पूजा पाठ कराने से लोग बड़े नहीं बनते। लोकमान्य तिलक और पंडित जवाहर लाल नेहरू की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा, आदिवासी और दलित ही भारत देश के मूल निवासी हैं। बड़े और उच्च जाति कहलाने वाले लोग बाहरी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में दो ही जाति के लोग हैं। एक अमीर और दूसरा गरीब है। अमीर का बेटा प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करता है और गरीब का बेटा सरकारी स्कूलों में. आज सरकारी स्कूलों की दशा यह है
कि शिक्षक 12 बजे आते हैं और 2 बजे चले जाते है। ऐसे में गरीबों का बच्चा कैसे पढ़ेगा? यह अकल्पनीय विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि न्यापालिका में आरक्षण के साथ समान शिक्षा प्रणाली पर बल दिया जाना चाहिए। लोग बाबा साहब भीमराव अंबडेकर की बातों को रटते हैं, लेकिन उसका सही अनुपालन नहीं करते। जिस बात का नारा बाबा साहब ने दिया था, उनके नारे को आत्मसात कर आगे बढ़ने की जरूरत है।
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